10 February 2009

प्रेम के पक्ष में



ये फ्रांसीसी कथाकार मोपासां की कहानी प्रेम का अंश है। कहानी शुरू होती है दो शिकारियों से,जिन्हें बहता हुआ नहीं बल्कि ठहरा हुआ पानी पसंद है। क्योंकि वहां पक्षी और दूसरे जीव रहते हैं, शिकार के लिए वो ऐसे ही एक दलदली इलाके में जाते हैं...बर्फ़ की चादर में लिपटी सर्द रात गुजारने के बाद पक्षी सुबह को जगाते हैं.....(कहानी का अंत है ये)

दिन निकल आया था और आकाश भी एकदम साफ था। हम वापस जाने की सोच रहे थे कि तभी दो पक्षी पंख फैलाये हुए तेज़ी से हमारे ऊपर से निकले। मैंने गोली चलाई और उसमें से एक मेरे पैरों के पास आकर गिरा। वह एक बहुत ही सुंदर हंसनी थी। अचानक ऊपर नीले आसमान में, मैंने एक आवाज़ सुनी, एक पक्षी की आवाज़। दूसरा पक्षी, जिसे बख्श दिया गया था, हमारे ऊपर मंडराने लगा। वह दिल चीर देनेवाले स्वर में बार-बार चीख रहा था और अपने मृत साथी को देख रहा था जिसे मैंने उठा लिया था।

कार्ल घुटनों के बल बैठकर उसका निशाना साधने लगा और कहा, "तुमने हंसनी को मार दिया है। अब यह हंस यहां से नहीं जाएगा।"
वह वाकई वहां से नहीं जा रहा था और हमारे ऊपर मंडरा रहा था। उसका करुण रुदन जारी था। पीड़ा की आहों-कराहों से मैं कभी इतना द्रवित नहीं हुआ था जितना उस बेचारे पक्षी की दर्दभरी चीख से।
कभी-कभी वह बंदूक के डर से उड़कर दूर चला जाता और लगता कि वह अकेला ही आगे उड़ जाएगा, लेकिन फिर वह अपने साथी के पास लौट आता।
कार्ल ने मुझसे कहा, उसे ज़मीन पर रख दो। धीरे-धीरे वह क़रीब आ जाएगा।
वाकई वह हमारे बिल्कुल करीब आ गया। अपनी मृत संगिनी के प्रति उसके पशुवत प्रेम, उसके गहरे लगाव ने उसे खतरे के प्रति बेपरवाह कर दिया था।
कार्ल ने गोली चलाई। लगा जैसे आकाश में टंगा वह हंस ज़मीन पर इस तरह गिरा जैसे उसकी डोर किसी ने काट दी हो। मैंने कोई चीज़ नीचे आती देखी और नरकुलों के बीच कुछ गिरने की आवाज़ सुनी। पिएरो उसे उठा लाया।
दोनों ठंडे पड़ चुके थे- मैंने उनको एक ही थैले में डाल दिया और उसी शाम वापस पेरिस चला गया।

6 comments:

P.N. Subramanian said...

हम वहां होते तो इन दोनों को गोली से उडा देते.

डॉ .अनुराग said...

अजीब सी उदासी ने घेर लिया .....इसे पढ़कर ....

Harshvardhan said...

aapki yah post achchi lagi

महुवा said...

feelng helpless..

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत ही दुखद. मन बहुत खिन्न हो गया.

रामराम.

राज भाटिय़ा said...

पता नही लोग क्यो दुसरो की जान ले लेते है...
मन दुखी हो गया.
धन्यवाद