20 April 2007

ज़िंदगी एक जश्न है
हर मोड़ पर टूटते ख्वाब
बिखरते ख्यालात
परेशानियां, उलझनें
इन सबको समेटते हुए
ज़िंदगी एक जश्न है
थोड़ी सी ख़ुशी
और
मुश्किलों के अंबार
ठोकर खाकर गिरता-उठता इंसान
जूझता,झिंझोड़ता,
फिर चल पड़ता
उम्मीद का दामन थाम
ज़िंदगी एक जश्न है
एक दौड़, एक प्यास
जीवन के प्रारंभ से अंत तक
थक कर बैठ गए फिर भी
ज़िंदगी एक जश्न है

02 April 2007

गुलमोहर, पलाश, अमलताश,
हरश्रृंगार, अशोक के फूल
ज़िंदगी...
किसी शायर की महकती
ग़ज़लों की तरह
कितनी मशगूल
बबूल, कैक्टस, नागफनी,
सूखे वृक्ष, उड़ती धूल
ज़िंदगी...
किसी मज़दूर की पसलियों की तरह
कितनी मज़बूर