07 February 2009

हाईने ऑन माई व्हील्स

रोड डायरी
हालांकि मुझे लग नहीं रहा कि ये कोई बड़ी बात है, पर खुद को सुकून देनेवाली बात तो है ही। दिल्ली से देहरादून क़रीब ढाई सौ किलोमीटर का सफ़र तय करना था। नोएडा और दिल्ली के कुछ इलाकों को छोड़कर ज्यादा भीड़भाड़ वाली सड़कों पर ड्राइव करने से मैं कतराती थी। जब पतिदेव ने ये तय किया कि देहरादून जाना है वो भी खुद ड्राइव करके, मैंने तो साफ इंकार कर दिया, ड्राइवर कर लेने की सलाह दी। पर जैसा कि आम हिंदुस्तानी बीवियों के साथ होता है, मुझे हथियार डालने पड़े। तय पाया गया कि जी खुद ही ड्राइव कर जाना है।
सफ़र से पहले की रात मैंने सपना देखा, अचानक कॉलेज के इग्जाम्स आ गए है,मैं इम्तिहान देने के लिए तैयार नहीं हूं, फेल होने से डर रही हूं(सपना देखते वक़्त तो सच लगता है, कॉलेज छोड़े कुछ साल बीत गए हैं, पर इग्ज़ाम्स अब भी डराते हैं)। ये सफ़र से पहले का डर था।
जब घोड़े पर जीन कस ली गई....गाड़ी का गियर बदल दिया गया फिर तो मुझे भी स्टेयरिंग पर हाथ फिराना ही था। मज़ा आ गया। मैं क्यों डर रही थी पता नहीं। हां ट्रकों को ओवरटेक करते वक़्त कई बार ट्रक यमराज जैसे जरूर लग रहे थे। पर एक-दो बार ऐसा कर लेने के बाद कॉन्फिडेंस आ गया।
सड़क के बीच कहीं भी ऊग आये गढ्ढे भी खासे जानलेवा होते हैं। एक गढ्ढे पर तो जो ब्रेक मारा, जान बची और लाखों पाये(लाखों की जगह अब के दौर में मुहावरा करोड़ों का हो जाना चाहिए)।
जब मैं ड्राइव कर रही थी सोतड़ू(पति का ब्लॉगर नाम) ने फोन कर बातों-बातों में एक-दो को बता भी दिया।
हें-हें-हें......

11 comments:

अनिल कान्त said...

आपकी ड्राइविंग की कहानी पसंद आयी ....अच्छा लिखा है

राज भाटिय़ा said...

वर्षा जी !!अरे पहले ही डर दिल मे बिठा लिया तो केसे होगी ड्राईविगं, यह इस लिये हुआ क्योकि आप ने पहले ही सपना देखा ओर अगर हिम्मत से काम ले ओर इस डर को बाहर फ़ेक दे तो देखे कितना सुंदर आप कार को चलायेगी, चलिये अगली बार सही.
वेसे मै महिला ड्राईवर हो तो मै कभी कार मै नही सवार होता,

ताऊ रामपुरिया said...

चलिये आपकी यात्रा मंगल मय रही. वैसे सोतडू जी की हिम्मत की दाद देनी पडेगी.:)

रामराम.

P.N. Subramanian said...

आपने तो चला ही लिया. हम तो सोतडू जी के बारे में सोच रहे हैं. उनकी तबीयत तो ठीक थी? आभार.

Vinay said...

ज़ोरदार

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गुलाबी कोंपलें

वर्षा said...

aap logon ke comments ke baare me nari blog ko suchna deni padegi. ladkiyon ki driving par itna bhi bharosa nahi.

हरकीरत ' हीर' said...

Varsa ji, bhot accha likha aapne....padhkar mza aaya....!!

दिलीप कवठेकर said...

आपके पति भाग्यशाली हैं, कि आप जैसी " आम हिन्दुस्तानी बीबीयों" की सोहबत में हैं जो अपने हथियार डाल देतीं हैं.

अखिलेश शुक्ल said...

nice work oks juin me--
htttp://katha-chakra.blogspot.com

मीत said...

i hope know u are convert in to a sharp driver...
Ha..Ha..Ha..
best of luck
meet

Smart Indian said...

अब जब आपने पतिदेव का नाम बता दिया है तो हम जैसे घोर अज्ञानियों को उसका अर्थ भी बता दें. ट्रक की बात पर याद आया, मेरठ के रोडवेज़ बस अड्डे पर भीमकाय अक्षरों में चेतावनी लिखी थी, "ट्रक से सावधान"