05 January 2010


स‌िर्फ पोछा मारने स‌े ही नहीं कार चलाने स‌े भी नॉर्मल डिलिवरी के आसार बढ़ते हैं। डायलॉग तो परफेक्ट था। हालांकि मैं इसका उदाहरण पेश नहीं कर पायी।

साइकिल,स्कूटर,मोटरसाइकिल के बाद अपनी कार की कहानी भी तो बतानी है।

मई-जून की चिलचिलाती धूप में दो पहिया वाहन पर आंख-नाक-कान तक को कपड़े स‌े लपेट कर पारे का ताप कम करने की जद्दोजहद चलती, रेडलाइट पर बगल में कोई कार में बैठा दिखता तो लगता उसे स्वर्ग सा परमानंद मिल रहा है। तमन्ना मुंह फैला लेती, काश मैं भी अपनी खुद की कार खरीद पाती। हें-हें...।
जाड़े में लुढ़कते पारे के स‌ाथ, स‌र्द हवा से जंग भी कुछ ऎसी ही हसरत जगाती। हम भी अपने चार पहिया वाहन का स‌ुख उठा पाते।
सिर्फ यही नहीं, दो पहिया वाहनों के स‌ाथ स‌‌ड़क पर घिसटने के अनुभव भी प्राप्त हैं, कुछ भयानक दुर्घटनाएं भी देखी हैं। ऎसे में चार पहिया वाहन ज्यादा स‌ुरक्षा का एहसास कराते। हालांकि एक्सीडेंट तो चार पहिये में भी कम नहीं होते।

तो कल्पना हक़ीकत में बदल ही गई। सिर्फ सुविधा के रूप में ही नहीं सहारा भी बन गई। प्रेगनेंसी के दौरान ऑफिस का आना-जाना मुश्किल तो होता ही है। नौ महीने तक बिना किसी बड़ी परेशानी के मैं खुद ड्राइव करके अपने ऑफिस जा पायी, मेरे लिये ये मायने रखता है। घर और ऑफिस में थोड़ा ज्यादा फासला हो तो स‌फ़र मुश्किल होता ही है। हालांकि बीच-बीच में पतिदेव की मदद भी ली। लेकिन आखिर वक़्त तक ज्यादातर खुद ड्राइव करके ऑफिस गई, गढ्ढों स‌े पहचान हो गई थी, स्पीड को नापती-तौलती रहती। नौकरी के स‌ाथ बच्चे को जन्म देने तक के स‌फ़र में मैं आत्मनिर्भर रही। कम स‌े कम मेरे लिये तो ये बड़ी बात रही।


पहली पंक्ति इसलिये लिखी क्योंकि पोछा मारने की सलाह देनेवाले बहुत मिले। पोछा मारने में कोई दिक्कत नहीं है और ये मुझे पसंद भी नहीं है, न ही पोछा मारने की सलाह। इससे पहले कि मैं पोछा मारने को लेकर शब्दों को घिसट दूं कार का किस्सा यहीं खत्म करती हूं।



और मेरी उपलब्धि ये रही...

जिनी

15 comments:

Rajeysha said...

आपकी खूबसूरत उपलब्‍धि‍ पर बधाई।

ghughutibasuti said...

वाह! क्या सुन्दर उपलब्धि है! बहुत बहुत बधाई। आपकी आत्मनिर्भरता के लिए भी बधाई।
घुघूती बासूती

कुश said...

एक्सीलेंट!!
जिनी बड़ा ही प्यारा नाम है.. बधाई..

kavita verma said...

mohak aatmnirbharta,sunder uplabdhi.badhaiyan.

राज भाटिय़ा said...

नये साल की यह उपलब्‍धि बहुत सुंदर, आप दोनो को बहुत बहुत बधाई,

महुवा said...

ok...तो इस उपलब्धि की कवायद में आपके दर्शन दुर्लभ हो रहे थे...she s really cute....God bless her...

के सी said...

so sweet

Smart Indian said...

बधाई!

Unknown said...

Nalayak ye to samajhdaar lag rahi hai

Puja Upadhyay said...

very cute :)
आपकी इतनी खूबसूरत और प्यारी उपलब्धि के लिए बधाई. आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आई और पढ़ कर बहुत अच्छा और अपना सा लगा, खास तौर पर साईकिल या गाड़ी चलाने वाली पोस्ट्स.

अलहदी said...

bahut khoobsurat. saikil se kar tak ka safer aur itni badi uplabdhi. dher sari badhaian

राहुल यादव said...

good

डॉ .अनुराग said...

इतना धासु लिखा है के बस झकास .......ओर उपलब्धि उतनी ही बेमिसाल .....

Udan Tashtari said...

बढ़िया उपलब्धि-बधाई!!

अमित said...

चार फर्लांग की दूरी पर घर है मेरा ... तुम्हारी उपलब्धि के दर्शन इस आधुनिक माध्यम के जरिए हो रहा है ! क्या कहूं खुद के लिए ? व्यस्तता? आलस्य? बेगानापन? या महानगर की अनिवार्यता.
जो भी हो एक बार फिर से बधाई