26 June 2008

आपके घर में कोई जेंट्स है?

सुबह क़रीब 9 बजे डोर बेल बजी। नींद में लड़खड़ाती हुई वो दरवाजे तक पहुंची। आंख मलते हुए दरवाजा खोला। बाहर 16-17 साल का सेल्समैन खड़ा था। टाई-शाई लगाए हुए। वो वाटर प्यूरीफायर बेच रहा था। दरवाजा खुलते ही उसने अपना परिचय देना शुरू किया। फलां-फलां कंपनी से आया हूं, फलां-फलां वाटर प्यूरीफायर लाया हूं। फिर उसने लड़की से बड़े सहजभाव से पूछा आपके घर में कोई जेंट्स है। उसके इस सवाल पर पहला खयाल तो आया कि इस नौजवान को किसी ने बुलाया होगा, वक़्त दिया होगा और उसने गलती से गलत दरवाजे पर दस्तक दे दी है। लड़की बोली - यहां कोई जेंट्स नहीं रहता। लड़की नौकरीपेशा थी, पहले अकेले फिर अपनी कुछ सहेलियों के साथ रहती थी। लड़के को बात हजम नहीं हुई। वो हंसकर बोला -ऐसा कोई घर नहीं हो सकता, जहां कोई जेंट्स न रहता हो। लड़की ने झल्लाकर पूछा तुम जेंट्स को ही क्यों पूछ रहे हो? इस सवाल के बाद उसकी झल्लाहट खत्म हो गई थी। सेल्समैन ने जवाब दिया- घर के फैसले तो जेंट्स ही लेते हैं न। वो वॉटर प्यूरीफायर बेचने आया था और उसके मुताबिक घर के अंदर-बाहर खरीदने की क्षमता-फैसला लेना तो जेंट्स का ही काम है।
उसने सेल्समैन से पूछा तुम्हारे घर में फैसले कौन लेता है- पापा या मम्मी। वो थोड़ा शरमा गया। बोला- वैसे तो घर में चलती मम्मी की ही है लेकिन आखिर में तो पापा ही फैसला करते हैं। फिर उसने इस छोटी-गंभीर-मजेदार वार्ता को खत्म कर दिया और मशीन के डेमो के लिए वक़्त मांगने लगा। लड़की ने भी उसे अपने ज़रा से खाली समय में से सबसे ज्यादा खाली रहनेवाला समय दे दिया और पूछा- इस वाटरप्यूरी फायर की कीमत कितनी है। वो बोला छत्तीस सौ रुपये। लड़की बोली- वैसे मैं ये खरीदूंगी नहीं। वो हंसा और बोला-आप कुछ अजीब हैं।

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