यहां गूंजते हैं स्त्रियों की मुक्ति के स्वर, बे-परदा, बे-शरम,जो बनाती है अपनी राह, कंकड़-पत्थर जोड़ जोड़,जो टूटती है तो फिर खुद को समेटती है, जो दिन में भी सपने देखती हैं और रातों को भी बेधड़क सड़कों पर निकल घूमना चाहती हैं, अपना अधिकार मांगती हैं। जो पुकारती है, सब लड़कियों को, कि दोस्तों जियो अपनी तरह, जियो ज़िंदगी की तरह
25 June 2008
एक राजस्थानी, एक बिहारी
बंदा एक ही है। राजस्थानी है। लोग न जानें क्यों उसे बिहारी समझते हैं। शक्ल से क्योंकि रईसी नहीं झलकती। नाम भी ऐसा है कि कमेडियान भइया राजू श्रीवास्तव उसके नाम के सत्तू का प्रचार करते हैं और कई रिक्शों के पीछे उसके नाम के ब्रांड के सत्तू का एड चिपका मिल जाएगा। फिर भी मैं उसके नाम का ज़िक्र नहीं कर रही लेकिन उससे पूछे बिना उसके बारे में ज़िक्र के लिए, और उसके तल्ख-मजेदार किस्से के लिए क्षमाप्रार्थी हूं। किस्सा कुछ यूं है कि इस राजस्थानी ने किराए का कमरा तलाशते-तलाशते एक मकान का दरवाजा खटखटाया। मुंह में पान ठूंसा हुआ था। मकानमालिक ने दरवाजे से सर बाहर निकाला, शक्ल देख छूटते ही बोला -क्या बिहारी हो? मकान का किराया था 4000 रूपये। राजस्थानी ने फटाक जेब से राजस्थान से जुड़ा एक आई कार्ड निकाला। देखिए, बिहारी नहीं, राजस्थानी हूं। किराया 500 रूपया कम हो गया। किस्से के मायने आप अपने हिसाब से खुद निकाल लीजिए।
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6 comments:
ye to bada majedar kissa hai. ise batane ke liye aabhar.
धन्यवाद ये बात बताने के लिये. हम बिहारी अपने को बडे जमिन्दार और जमीन जायदाद वाले समझते हैं. मालुम नहीं था कि ये बात बाहर वाले भी समझते हैं. अब भला देखिये ना राजस्थानी भाइ को गरिब समझ कर ५०० रुपया किराया कम हो गया. अब से मेरे घर मे भी कोइ राजस्थानी किराया के लिये आयेगा तो ५००-१००० रुपया कम पर हि देने का कोशिश करेगें. आज के दिन मे भी कुछ भलेमानुष हैं जो गरिबो के लिये छुट देते हैं.
धन्यबाद वर्षा जी.
समझ ही नहीं पाये :(
हमे तो लगा राजस्थानी से 500 ज्यादा ही वसुले जाते होंगे :)
आपके बहुत सारे विषयों पैर लिखे गए आलेख देखे , पढ़ा , अच्छा भी महसूस हुआ, परन्तु जब मई इस ब्लॉग को पढ़ा तो आपके विचारो को बहुत हिन् संकीर्ण पाया !!!! वैसे सर्वेश जे ने तो उसका जवाब बहुत अछे ढंग से दी है ये उनकी महानता है !!!!! आज बिहारी शब्द किसी पहचान का मोहताज़ नहीं !!! में
दिल्ली में रहता हूँ , यहाँ यदा कदा आपके जैसे लोग भी मिल जाते है तो मुझे उनकी galatfahamee दूर करने का मौका मिलता रहता है !!!! आअज बिहारी आपके ऑफिस मै आपके ऊपर वाले कुरसे पे बैठे मिलेंगे , तो आपका सहकर्मी भी बिहारी हिन् होगा, और हाँ जिसका घर अआप किराये पे लेने जा रहे हैं वो भी बिहारी हिन् होगा... सोचिये कितनी कम रिसोर्स के बाद भी वो अपने आपको साबित करते हैं !!!! इसीलिए मुझे लगता है आपको अपने विचारों मै बदलो की जरूरत है !!!! धन्यवाद , लेखन जारी रखे परन्तु जहर उगलने से बचे tabhi aapkee vidwata sabeet hogee !!!!!!!
अगर यह सच है तो मैं बिहार तो क्या एरिज़ोना का जंगली कहलाने के लिये तैयार हूँ बस किराया कम होना चाहिये।
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