26 June 2008

एक बिहारी, एक राजस्थानी में कुछ और...

(मूल लेख ब्लॉग में दिख जाएगा)
कुछ और... इसलिए क्योंकि कुछ टिप्पणियों में बिहारवाद पर नाराजगी ज़ाहिर की गई थी। इसे मेरी सफाई और क़िस्सागोई की क्षमता की कमी भी मान सकते हैं। वो लेख मेरे एक राजस्थानी मित्र का अनुभव था। जिसे ब्लॉग में बताने का मक़सद बिहार और बिहारियों के साथ भेदभाव को बताना था। यूपी का होते हुए बिहार मेरे ज्यादा नज़दीक है। राजस्थानी से ज्यादा बिहारी मित्र हैं मेरे। जब किसी को बिहारी कहकर संबोधित किया जाता है तो वो मुझे ज्यादा अप्रिय लगता है। बिहार के आईएएस को दिल्ली का एक बस कंडक्टर भी बिहारी बोलकर ख़ारिज कर देता है। ऐसे मुद्दों पर कई बार मेरी बहस हो जाती है। पर मेरे लेखन से किसी को ठेस पहुंची हो तो सॉरी है भाई।

2 comments:

बिक्रम प्रताप सिंह said...

अभी मैंने आपकी पिछली पोस्ट पढ़ी. मुझे किसी तरह आपकी सोच संकीर्ण नही लगी और न ही उसमे आपने कोई जहर उगला है. आपने एक दास्ताँ बयां की जिसके मायने पर वाकई गौर करने की ज़रूरत है. बहुत अच्छी पोस्ट थी. आगे भी जानदार लिखना जारी रखें.

Tarun said...

Vikram se sehmat hoon, aapne sirf ek daastan bayan ki hai, waise hi jaise sales man wali...

Aapki baat ka marm sirf itna tha ki behar wale ko sabhi lootte hain.

kisi bhi jegah jaao, local ke liye daam hamesha kam hi rehte hain.