26 July 2008

गृहणी, अन्नपूर्णा,घरवाली...

भारत परमाणु करार पर दस्तखत करेगा या नहीं, पाकिस्तान इसके विरोध में है, चीन इसके पक्ष में हैं, बैंगलोर में सीरियल ब्लास्ट, फिर अहमदाबाद में सिलसिलेवार धमाके, कभी न रुकनेवाली घटनाएं, हमेशा कुछ ऐसा होगा कि हम चौंक जाएंगे, या विचारों की जुगाली करेंगे, पर जो लोग बड़े मुद्दों पर बड़ी बातें नहीं करते, जिनकी समस्या घर की कामवाली के न आने से शुरू होती है, प्याज़ के आंसू जिन्हें रूलाते हैं, सिंक में पड़े बर्तन जिनकी खीज बढ़ाते हैं, रोटी सेंकता गरम तवा जिनके माथे पर पसीना टपकाता है ,
सब्ज़ी में नमक कम पड़ जाने पर जो खुद को माफ नहीं कर पाती, जब तक कि एक स्वादिष्ट सब्ज़ी नमक की उस याद को भुला दे, जो दिन भर अपने पति का इंतज़ार करती है, जो तय समय पर कभी नहीं आता, जिनका दिन अपने बच्चे को स्कूल भेजने और उसका होमवर्क पूरा कराने में गुज़रता है, जो देशहित के बड़े मुद्दों पर बात नहीं करती, घर की छोटी-छोटी समस्याओं की टेंशन में जीती हैं, हमारे समाज में, हमारे देश के विकास चक्र में, हमारी अर्थव्यवस्था में, उनका उतना ही योगदान है, जितना उनका जो इस दिशा में बहस, बातें और काम करते हैं, या महसूस करते हैं कि वो ऐसा कुछ कर रहे हैं, या फिर वाकई ऐसा कुछ कर रहे हों। उन तमाम लोगों, ख़ासतौर पर उन तमाम महिलाओं को उनके हिस्से का सम्मान नहीं मिल पाता। जबकि उनका काम बहुत मुशिक्ल होता है। जिसमें उनकी पूरी ज़िंदगी खर्च हो जाती है।

1 comment:

शोभा said...

अच्छा लिखा है। महिलाओं को इस सब में असीम सुख की प्राप्ति होती है। अगर उनको परिवार में मान मिले तो फिर उनका उत्साह और भी बढ़ जाता है। सस्नेह