वेलेंटाइन डे पर अपने ब्लॉग पर कोई प्रेम कविता डालने की योजना बनाई थी, नेट पर ढूंढ़ा, कुछ नहीं मिला, खुद से कुछ लिख नहीं पायी, कोई और चीज, कोई और बात, कोई और ख्याल दिमाग़ में साफ नहीं था। वैलेंटाइन डे पर घर के कामों की व्यस्तता में इस बारे में सोचने की फुर्सत भी नहीं मिली। वैलेनटाइन डे याद भी नहीं रहा हालांकि उससे एक दिन पहले ख़बरों को बुनने के लिए नेट पर कुछ प्रेम कविताएं ढूंढ़ रही थी। सबको मिलाजुला कर एक जगह रखा, कुछ अपनी तरफ से भी जोड़ती जा रही थी,साथ रखीं प्रेम पंक्तियां मुझे अच्छी लगी। दो दिन बाद वही ब्लॉग पर देने का ख्याल आया....तो इसलिए
प्रेम तो कुछ ऐसा है कि पार कर जाते हैं आप
सारी नदियां, सारे पहाड़, महासागर
संगीत के वाद्य यंत्र खुद ही बजने लगते हैं
उजाला और साफ दिखने लगता है
अंधेरा जैसे जगमगाता है
समूची दुनिया ही जैसे कलर करेक्शन के साथ
और ख़ूबसूरत हो जाती है
आंसू भी जब छलकते हैं
तो लगता है कि आंखों से लहू टपकते हैं
प्रिय के हाथ में हाथ
तभी ख़ामोशी भी करती है बात
(पीले गुलाब इसलिए क्योंकि मैंने सपने में अपने पतिदेव को पीला गुलाब दिया, जिसके बारे में बताया तो जनाब ने मज़ाक बना दिया, कहा अगले साल सफेद गुलाब देना, उसके अगले साल सूखी डंडी, लाल गुलाब नहीं थे इसलिए, वैसे वो पीले गुलाब सपने में गजब के पीले थे, सुंदर-मखमली-पारदर्शी, उसके लिए शब्द नहीं ऐसे)
4 comments:
गुलाब का रंग चाहे जो भी हो.. जिंदगी में प्यार का रंग बने रहना चाहिए.. :)
:)
गुलाब किसी भी रंग का हो कांटों की हकीकत जानता है।
स्त्री को नमन एक रचना http://rajey.blogspot.com/ पर
आज मंगलवार 8 मार्च 2011 के
महत्वपूर्ण दिन "अन्त रार्ष्ट्रीय महिला दिवस" के मोके पर देश व दुनिया की समस्त महिला ब्लोगर्स को "सुगना फाऊंडेशन जोधपुर "और "आज का आगरा" की ओर हार्दिक शुभकामनाएँ.. आपका आपना
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