यहां गूंजते हैं स्त्रियों की मुक्ति के स्वर, बे-परदा, बे-शरम,जो बनाती है अपनी राह, कंकड़-पत्थर जोड़ जोड़,जो टूटती है तो फिर खुद को समेटती है, जो दिन में भी सपने देखती हैं और रातों को भी बेधड़क सड़कों पर निकल घूमना चाहती हैं, अपना अधिकार मांगती हैं। जो पुकारती है, सब लड़कियों को, कि दोस्तों जियो अपनी तरह, जियो ज़िंदगी की तरह
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22 comments:
खूबसूरत...लगता है सुबह-सुबह जागने पर ही लिखा है इसे...!!
एकदम फ्रेश....!!
भूल गयी थी,,,,सॉरी,,,,नाइट शिफ्ट के फायदे भी गिना रही थी ये कविता...तो सुबह जागने पर नहीं बल्कि नाइट शिफ्ट के बाद इसका जन्म हुआ है
bahut sundar .....achcha likha hai...nayi subah par is kavita ke liye aapka shukria....
ये तो आपने नाईट शिफ़्ट के खूबसूरत फ़ायदे गिना दिये.
अगर नाईट शिफ़्ट कार्ने से इतनी सुंदर रचना का जन्म हो सकता है तो नाईट शिफ़्ट करना बहुत सौभाग्य की बात है.
पर कुछ बिरला ही इस ताजगी को महसूस कर पाते हैं जो आपने की. बहुत ताजगी वाली सुंदर रचना.
रामराम.
बहुत सुन्दर. night शिफ्ट के बाद सुबह प्यारी प्यारी नींद भी तो आती है.
बहुत प्रभावकारी रचना है
यह भी सही हे। नाइट शिफ्ट के ये फायदे तो हैं। लेकिन तभी, जब नाइट शिफ्ट 5 बजे भोर तक चले। जिन मीडियाकर्मियों की नाइट शिफ्ट 3 बजे तक ही चलती होगी, उनकी सुबह तो नींद में ही गुजर जाती होगी :)
सुबह सुबह का बडा खूबसूरत चित्रण किया है आपने। मेरी समझ से इसका शीर्षक भी होना चाहिए सुबह सुबह।
-जाकिर अली रजनीश
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SBAI / TSALIIM
सुबह .....अब भी हसीन है..
वाह!! बहुत सुन्दर.
अरे वाह... बहुत बढ़िया है ये सुबह-सुबह की कविता...
सुबह देखने को मिल जाती है
सुबह-सुबह ही
सुबह का इतना सुन्दर नज़ारा , प्रकृति की उद्दात देन को देखने के लिए आपको नाईट शिफ्ट का इंतजार करना पड़ा, हम तो इसका आनंद बचपन से लेकर आज तक ल्रेते आ रहे हैं, सुबह पाच बजे ही उठाने की आदत जो है.
प्रकृति के मनोहारी द्रश्य के सुन्दर वर्णन पर आपका आभार.
चन्द्र मोहन गुप्त
aapne itna accha shabd chitr pesh kiya hai ki bus poochiye mat ..
subah hamesha hi acchi hoti hai ..
badhai
pls vist my blog of poems :
http://poemsofvijay.blogspot.com
Regards
Vijay
... सुन्दर अभिव्यक्ति !!!!!
आपकी ऐसी हर सुबह मुबारक हो।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
bahut khub........
बहुत सुन्दर
सुबह के इंतजार में
कट जाए रात आंखों ही आंखों में
बड़ा ही शायराना एहसास है
काश,
सुबह को भी एहसास होता इस बेसब्री का...
Mujhe subah ka sundar drishya aapki kavita ke madhtam se aanandit kar gaya...
Regards..
DevPalmistry : Lines Tell the Story Of ur Life
सुबह देखने को मिल जाती है
सुबह-सुबह ही ..wow!kya baat kahi hai....
Is Shamaa ko Jalaaye rakkhen.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
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