12 February 2009

प्रेम के पक्ष में..





प्रेम पर लिखी कोई कविता मैंने पहली बार पढ़ी है तो वो यही है। कुछ मायने तो मैंने समझे होंगे इसके, क्योंकि इसकी पहली लाइन में कभी नहीं भूली। मैं इसे प्रेम कविता मान रही हूं, वैसे इसका अर्थ ज्यादा बड़ा है।


कबीर यहु घर प्रेम का, खाला का घर नाहिं
सीस उतारै हाथि करि, सो पैठे घर माहिं



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ये कविता मैंने अपनी कज़िन की डायरी से नोट की थी। उसी ने पढ़ाई थी। तब बहुत पसंद आई थी मुझे। बचपने की बात है।

फिर नदी अचानक सिहर उठी
ये कौन छू गया सांझ ढले
संयम में बैठे रहना ही
जिसके स्वभाव में शामिल था
दिन रात कटावों के घेरे में
ढहना जिसका शामिल था
वो नदी अचानक लहर उठी
ये कौन छू गया सांझ ढले

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ये कविता भी मैंने अपनी डायरी से उठायी है। ओशो टाइम्स से डायरी में नोट की थी।


तारकों को रात चाहे भूल जाए
रात को लेकिन न तारे भूलते हैं
दे भुला सरिता किनारों को भले ही
पर न सरिता को किनारे भूलते हैं
आंसुओं से तर बिछुड़ने की घड़ी में
एक ही अनुरोध तुमसे कर रहा हूं
हास पर कर लेना मेरे संदेह भले ही
आंसुओं की धार पर विश्वास करना
प्राण मेरे प्यार पर विश्वास करना


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सबसे आखिर में
कोई अनुवादित किताब थी। नाम भूल गई हूं। कजाकिस्तान या इस किस्म की जगह का कोई उपन्यास(मूर्खता के लिए क्षमा करें)। उस किताब का एक अंश मेरे ज़ेहन में हमेशा ताज़ा रहता है। लड़का, लड़की को छोड़ कहीं दूर किसी दूसरी जगह जा रहा होता है। वो परेशान होती है, कहीं वो उसे भूल न जाए, किसी और के साथ न चला जाए। वहीं पर इस फिलॉस्फी का ज़िक्र है।

"अपने प्रेम को परिंदे की तरह आज़ाद छोड़ दो। अगर वो तुम्हारा है तो तुम्हारे पास लौटेगा। अगर वो नहीं लौटा तो वो तुम्हारा था ही नहीं।"

19 comments:

अनिल कान्त said...

सचमुच प्रेम में बंदिशे नही होती ...जो तुम्हारा है वो तो तुम्हारा ही रहेगा ...

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

अनिल कान्त said...

पसंद पर क्लिक कर चुका हूँ मुझे बहुत पसंद आई आपके द्बारा प्रेषित कवितायें

P.N. Subramanian said...

"अगर वो नहीं लौटा तो वो तुम्हारा था ही नहीं।"
बहुत सुंदर अर्थपूर्ण. आभार.

रंजना said...

Waah ! Waah ! Waah ! sundar !

रंजू भाटिया said...

बहुत सुंदर बात ..शुक्रिया इसको यहाँ शेयर करने के लिए

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर पोस्ट लिखी है।सुन्दर गीत प्रेषित किए हैं।धन्यवाद।

Dr.Bhawna Kunwar said...

बहुत सुंदर...

Udan Tashtari said...

डायरी बड़ी अनमोल है जी दोनों ही. बधाई..एक से एक उम्दा कविता निकाली और फिर यह ब्रह्म वाक्य:

"अपने प्रेम को परिंदे की तरह आज़ाद छोड़ दो। अगर वो तुम्हारा है तो तुम्हारे पास लौटेगा। अगर वो नहीं लौटा तो वो तुम्हारा था ही नहीं।"

-बहुत सही!!

mehek said...

bahut khubsurat post badhai

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही सुंदर... भाव
दोनो कविता एक से बढ कर एक .
धन्यवाद

सोतड़ू said...

मैंने पढ़ा तो नहीं लेकिन ये लाइनें INDECENT PROPOSAL नाम की फ़िल्म में सुनी ज़रूर हैं। ये फ़िल्म इसी नाम के Jack Engelhard के एक उपन्यास पर आधारित थी।
बहरहाल मुझे भी ये लाइनें पसंद हैं। लेकिन क्या ये आसान है? क्या आदमी के लिए ये मुमकिन है?

महुवा said...

अपने प्रेम को परिंदे की तरह आज़ाद छोड़ दो। अगर वो तुम्हारा है तो तुम्हारे पास लौटेगा। अगर वो नहीं लौटा तो वो तुम्हारा था ही नहीं।"
वर्षा क्या तुम्हें आज भी ऐसा लगता है कि प्रैक्टिकली ये मुमकिन है....कई बार ऐसा नहीं लगता कि मौन में छिपी भाषा लोग समझ ही नहीं पाते...और कई बार परिस्थितियो के चलते तो कई बार अपने अहम के चलते भी रिश्ते अन्जान राहों का रूख कर लेते हैं.....ऐसे में उसे छोड़ देना और सिर्फ उसका इंतज़ार करना ये सोचकर....अगर इसमें कुछ भी सच्चाई है तो वापस मिलेगा ये सब....
पता नही क्यों मुझे नहीं लगता ऐसा....
पर सबकी सोच अलग-अलग....इसलिए कोई सवाल नही उठा रही हूं...यहां....

Ek ziddi dhun said...

prem ke paksh mein abhiyan chala rakha hai Varsha..Main to kai din baad is galee aya

kumar Dheeraj said...

बहुत सुन्दर लुभावने लेख आपने लिखी है । सारी कविताएं रोचक है इसी तरह लिखते रहिए शुक्रिया

हरकीरत ' हीर' said...

"अपने प्रेम को परिंदे की तरह आज़ाद छोड़ दो। अगर वो तुम्हारा है तो तुम्हारे पास लौटेगा। अगर वो नहीं लौटा तो वो तुम्हारा था ही नहीं।" .....

ye sach hai varsa ji bandishen lga kr pyar nahi paya ja sakta . Tanu ji pyar sirf ek ladke ladki ke bich hi nahi hota parivaar me pati patni me , maa bete me ,pita putra me ..kisi ka bhi prem pane ke liye hame us se jyada apechaye nahi rakhni chahiye haan khud itana pyar do ki wo lout kr aapke paas aa jaye...!!

कडुवासच said...

... बहुत खूब!!!!!

admin said...

अरे वाह, एक साथ इतना खजाना, आभार।

Smart Indian said...

लड़का, लड़की को छोड़ कहीं दूर किसी दूसरी जगह जा रहा होता है। वो परेशान होती है, कहीं वो उसे भूल न जाए, किसी और के साथ न चला जाए।
मीठे प्रिय परदेस चले
दूजा मीत बनाना नहीं
याद हमारी जब भी आए
ख़त लिखते शर्माना नहीं
चिट्ठी लिखें, डाक में डालें
गैर के हाथ थमाना नहीं
जिंदा रहे तो फ़िर मिलेंगे
मरे तो दिल से भुलाना नहीं।

Smart Indian said...

तनु की बात सही भी है और नहीं भी. मेरी नज़र में इस कथन का अर्थ सिर्फ इतना है की प्रेम किसी पर लादा नहीं जा सकता. आप किसी के मन पर अधिकार नहीं कर सकते भले ही उसका तन-मन क्षत-विक्षत करने की क्षमता रखते हों.