ज़िंदगी एक जश्न है
हर मोड़ पर टूटते ख्वाब
बिखरते ख्यालात
परेशानियां, उलझनें
इन सबको समेटते हुए
ज़िंदगी एक जश्न है
थोड़ी सी ख़ुशी
और
मुश्किलों के अंबार
ठोकर खाकर गिरता-उठता इंसान
जूझता,झिंझोड़ता,
फिर चल पड़ता
उम्मीद का दामन थाम
ज़िंदगी एक जश्न है
एक दौड़, एक प्यास
जीवन के प्रारंभ से अंत तक
थक कर बैठ गए फिर भी
ज़िंदगी एक जश्न है
यहां गूंजते हैं स्त्रियों की मुक्ति के स्वर, बे-परदा, बे-शरम,जो बनाती है अपनी राह, कंकड़-पत्थर जोड़ जोड़,जो टूटती है तो फिर खुद को समेटती है, जो दिन में भी सपने देखती हैं और रातों को भी बेधड़क सड़कों पर निकल घूमना चाहती हैं, अपना अधिकार मांगती हैं। जो पुकारती है, सब लड़कियों को, कि दोस्तों जियो अपनी तरह, जियो ज़िंदगी की तरह
20 April 2007
Subscribe to:
Posts (Atom)